लेखनी कविता -कार - बालस्वरूप राही

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कार / बालस्वरूप राही पापाजी की कार बड़ी है, नन्ही-मुन्नी मेरी कार। टाय-टाय फीस उनकी गाड़ी, मेरी कार धमाकेदार। उनकी कार धुआं फैलाती, एक रोज होगा चलन, मेरी कार साफ-सुथरी है, ...

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